- उज्जैन में मुन्ना भाई MBBS की गैंग सक्रिय! 10वीं-12वीं प्री-बोर्ड के पेपर 2 घंटे पहले लीक, सोशल मीडिया पर हुए वायरल; शिक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल।
- मदिरा प्रेमियों को बड़ा झटका! मध्यप्रदेश के धार्मिक स्थलों पर जल्द लागू होगी शराबबंदी, CM यादव ने की घोषणा
- मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का स्थापना दिवस आज, मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने दी बधाई...
- भस्म आरती: भगवान महाकाल का पंचामृत कर सालासर बालाजी स्वरूप में किया गया दिव्य श्रृंगार!
- धार्मिक नियमों की उड़ाई धज्जियाँ! महाकालेश्वर मंदिर में सुरक्षा चूक: युवक ने बिना अनुमति गर्भगृह में प्रवेश किया, शिवलिंग को किया नमन...
उज्जैन में 62 जर्जर स्कूल, जान जोखिम में डाल पढ़ रहे बच्चे
उज्जैन। शासकीय कन्या माध्यमिक विद्यालय पानदरीबा की पेरापेट वॉल गिरने से पांच छात्राओं के घायल होने की खबर ने मंगलवार कई माता-पिता की चिंता बढ़ा दी है। स्कूल कितने सुरक्षित हैं, इसे लेकर उनके मन में सवाल उठ रहे हैं। जिला शिक्षा अधिकारी ने घटना को संज्ञान में लेकर जिले के सभी बीआरसी, इंजीनियरों संग बैठक ली। जर्जर और विशेष मरम्मत योग्य स्कूलों की जानकारी जुटाई। बताया कि जिले में 62 शासकीय प्राथमिक एवं माध्यमिक स्कूल भवन जर्जर हैं और 58 स्कूलों में विशेष मरम्मत की दरकार है।
महिदपुर में छज्जूखेड़ी, कढ़ाई, मावि क्रमांक 1 और मावि क्रमांक 2 सहित सात ऐसे स्कूल हैं जहां अब भी जान जोखिम में डालकर बच्चे पढ़ रहे हैं। शासन से नए स्कूल भवन निर्माण और मरम्मत के लिए अब तक कोई फंड नहीं मिला है। जवाब पाकर जिला शिक्षा अधिकारी ने दो दिन में सभी स्कूलों का भौतिक सत्यापन कर जर्जर स्कूल को पड़ोस के सुरक्षित स्कूल भवन, आंगनवाड़ी या किराये की बिल्डिंग में शिफ्ट करने के निर्देश दिए। कहा कि बच्चों की सुरक्षा में जरा भी कोताही न बरते।
शहर में 19 स्कूलों में विशेष मरम्मत की दरकार
उज्जैन शहर में 19 प्राइमरी एवं मीडिल स्कूलों में विशेष मरम्मत की दरकार है। इनमें कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें जमींदोज करके नई बिल्डिंग बनाए जाने की आवश्यकता है। इनका निर्माण एवं मरम्मत का कार्य नगर निगम के माध्यम से होना है और इसके लिए जिला शिक्षा विभाग की ओर से नगर निगम आयुक्त को 19 दिन पहले ही पत्र भेजा जा चुका है। हालांकि इस सिलसिले में अभी कोई कार्रवाई आगे नहीं हुई है।
प्रारंभिक जांच में शिक्षक दोषी..जवाब- क्यों जाने दिया छत पर छात्राओं को
पानदरीबा स्कूल में पेरापेट वॉल गिरने के लिए प्रारंभिक जांच में अफसरों ने मौजूदा शिक्षकों को दोषी करार दिया है। कहा है कि जब पता था कि छत पर बनीं पेरापेट वॉल कमजोर है और छत के दो छोर भी असुरक्षित है फिर भी छात्राओं को कबड्डी खेलने के लिए शिक्षकों ने छत पर क्यों जाने दिया। उनका कर्तव्य बनता था कि वे छात्राओं को छत पर जाने से रोके। बताया कि निर्माण कार्य 12 साल पहले शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से हुआ था। निर्माण में बीम-कॉलम का ध्यान नहीं रखा गया था। ये कालांतर में भवन के नक्शे के विरुद्ध शौचालय की पानी की टंकी भरने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था स्वरूप बनवाया था। जिला शिक्षा अधिकारी ने तमाम तथ्यों का परीक्षण कर बुधवार संबंधितों को नोटिस जारी करने की बात कही है।